यजुर्वेद ९-३४ (9-34)
वस॑व॒स्त्रयो॑दशाक्षरेण त्रयोद॒श स्तोम॒मुद॑जयँ॒स्तमुज्जे॑ष रु॒द्राश्चतु॑र्दशाक्षरेण चतुर्द॒श स्तोम॒मुद॑जयँ॒स्तमुज्जे॑षमादि॒त्याः पञ्च॑दशाक्षरेण पञ्चद॒श स्तोम॒मुद॑जयँ॒स्तमुज्जे॑षमदि॑तिः॒ षोड॑शाक्षरेण षोड॒श स्तोम॒मुद॑जय॒त्तमुज्जे॑षम्प्र॒जाप॑तिः स॒प्तद॑शाक्षरेण सप्तद॒श स्तोम॒मुद॑जय॒त्तमुज्जे॑षम् ॥
भावार्थ:- हे मनुष्य लोगो! इन चार मन्त्रों से जितना राजा और प्रजा का धर्म कहा, उसका अनुष्ठान कर तुम सुखी होओं।।
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