Thursday, December 17, 2015

२ पौष 17 दिसम्बर 2015 😶 “ अन्दर देखो ! ” 🌞 🔥🔥 ओ३म् यो मत्र्येष्वमृत ऋतावा...

२ पौष 17 दिसम्बर 2015

😶 “ अन्दर देखो ! ” 🌞

🔥🔥 ओ३म् यो मत्र्येष्वमृत ऋतावा देवो देवेष्वरतिर्निधायि । 🔥🔥
🍃🍂 होता यजिष्ठो मह्ना शुचध्यै हव्यैरग्निर्मनुष ईरयध्यै ।। 🍂🍃

ऋक्० ४ । २ । १

ऋषि:- वामदेव: ।। देवता- अग्नि: ।। छन्द:- पक्त्ङि।।

शब्दार्थ- जो मरणशील मनुष्यों में कभी न मरनेवाला सत्यरूप होकर और इन्द्रियादि देवों के बीच में उनमें असंगरूप से गया हुआ एक देव होकर निहित है, वह दान-आदान करनेवाला सर्वश्रेष्ठ यजनीय आत्माग्नि हममें अपनी महिमा द्वारा प्रदीप्त होने के लिए ही और मनुष्य को आत्म-हवनों से प्रेरणा करने के लिए ही निहित है।

विनय:- यह आत्माग्नि हममें किसलिए रखा हुआ है? मिट्टी हो जानेवाले हम मर्त्यों में यह कभी न मरनेवाला अमृतत्त्व, सच्चा, सत्यरूप, ‘आत्मा’ कहलानेवाले एक तत्त्व निहित है, इन इन्द्रिय आदि देवों के बीच में जो यह एक देव है, इन सब देवों में असङ्ग रूप से गया हुआ एक अमर देव रखा हुआ है, यह किस प्रयोजन के लिए है? निःसन्देह यह इसलिए है कि यह हममें बढ़े, प्रदीप्त हो, अपनी महिमा द्वारा विविध प्रकार से प्रदीप्त हो। यह जीवन इसलिए है कि इस द्वारा आत्मा अपने-आपको विकसित कर सके। यह संसार इसलिए है कि इसमें आत्माग्नि अपना अधिक-से-अधिक प्रकाश कर सके। इसलिए यह आत्मा 'होता’ बना है, दान-आदान करनेवाला हुआ है। आत्मा के लिए हम जो कुछ बलिदान करते हैं, उससे हज़ारों गुणा आदान उसके विविध ऐश्वर्यों के रूप में हमें प्राप्त होता है। इसलिए यह आत्मा ही यजिष्ठ, सर्वश्रेष्ठ यजनीय है। इसका ही यजन करके हमें आत्मिक सामर्थ्यों और आत्मिक ऐश्वर्यों में अपने को प्रदीप्त करना चाहिए, किन्तु आत्मा से यह अद्भुत सामर्थ्यों, दिव्य ऐश्वर्यों का आदान तभी हो सकता है जब हम आत्मा के लिए दान, आत्म-बलिदान करते रहें। यह प्यारा आत्मा जब दीख जाता है तब तो मनुष्य पृथिवी-भर को स्वाहा करके भी इसके प्रेम को पाना चाहता है। इसकी ज्योति इतनी प्यारी है कि उसके दर्शनमात्र से मनुष्य शेष सब अनात्म संसार को एकदम बलिदान कर देने के लिए उत्कंठित हो जाता है। इसलिए भाइयों! तनिक देखो! अन्दर देखो! तुममें प्रदीप्त होने की ही प्रतीक्षा में यह तुम्हारा आत्माग्नि निहित है। क्या तुम इसे प्रदीप्त नहीं करोगे? यह अमृत तुम्हें निरन्तर बलिदान के लिए प्रेरित कर रहा है, क्या तुम उसकी बात नहीं सुनोगे?

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ओ३म् का झंडा 🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩
……………..ऊँचा रहे

🐚🐚🐚 वैदिक विनय से 🐚🐚🐚


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