सौभाग्यप्रद सुविचार चित्र सँख्या– २२ ||
“मनुष्य जब संसार में आता है और जब संसार से जाता है तब; न तो कुछ लेकर आता है और न ही कुछ लेकर जाता है परन्तु मध्य केवल इकट्ठा करने में ही चला जाता हैं |”
“अतः मनुष्य को ‘अपरिग्रह’ अर्थात् आवश्यकता से अधिक पदार्थ अपने पास रखने की भावना का त्याग और 'तेन त्यक्तेन भुञ्जीथाः’ अर्थात् त्याग पूर्वक भोग करना सीखना चाहिए ||”
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