।।ओ३म्।।
🚩गीतोपदेश🚩
१५-१२-२०१५
देहिनोs स्मिन् यथा देह
कौमारं यौवनं जरा।
तथा देहांतरप्राप्तिः
धीरस्तत्र न मुह्यति।।
अर्थः- हे अर्जुन जैसे की इस शरीर में बचपन जवानी और बुढ़ापा आता है वैसे ही देह परिवर्तित भी होता है उसमे धीर पुरुष मोहित नही होते है।
नोट- शरीर की मृत्यु होती है आत्मा की नही इसलिये योगी प्रियजन की मृत्यु पर भी शोक नही करते।
(मुकेशार्यः कानड़)
ओ३म्
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