Tuesday, December 15, 2015

ram ko sadharan manush kiu samajte ho? Yahi ram dasrath ghar dole yahi ram sab ghat Mei bole yahi...

ram ko sadharan manush kiu samajte ho?
Yahi ram dasrath ghar dole yahi ram sab ghat Mei bole yahi ram ne sakal pasara yahi ram sab jag se nyara
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जिस राम को ये पौराणिक घट घट में कहते हैं ये उसी दशरथ के राम को कहते हैं।दूसरी बात ये है कि परमात्मा न कभी जन्म लेता है न मरता है अर्थात् जन्म मरण,नस नाडी के बन्धन से रहित है।सच्चिदादानन्द है।जो साकार होगा वह सुख दुख,जन्म मरण से रहित नहीं होगा।और साकार घट घट में कैसे रम सकता है?
निराकार ही सर्वव्यापक हो सकता है।इसलिए राजा दशरथ के राम एक महापुरुष थे।सन्ध्या करते थे।ईश्वर भक्ति करते थे।

दूसरी बात जो घट घट में रमा है वह राम नहीं ओ३म् है।
सभी वेदों में व उपनिषदों में यहां तक की गीता में भी ‘ओ३म्’ नाम परमात्मा का नाम बताया है।
देखिये–
ओ३म् कृतो स्मर।(यजु०)
हे कर्मशील जीव! तू ओम् का स्मरण कर।

ओ३म् कृतं स्मरः।

तस्य वाचकः प्रणवः।-योगद०
उस ईश्वर का वाचक अर्थात् ज्ञान कराने वाला शब्द प्रणव अर्थात् 'ओ३म्’ है।

सारे उपनिषदों में ओंम् नाम से परमात्म को सम्बोधित किया है।

ओर सबसे बड़ा प्रमाण यह है कि वेदों में सभी मन्त्रों से पूर्व 'ओ३म्’ शब्द आता है।
बिना ओ३म् के कोई मन्त्र अधूरा है।देखिये–
ओ३म् विश्वानि देव—–।
ओ३म् भूर्भुवः स्वः——-।

गायत्री मन्त्र से पूर्व भी ओ३म् शब्द आता है।
अगर 'राम ’ ईश्वर का नाम होता तो ’ राम’ शब्द आता।

तो जो राम एक महापुरुष हुए हैं ओ जन्म मरण,दुख सुख से ओर मनुष्यों कई तरह ही बंधे थे,यए पौराणिक राम नाम के पीछे ही क्यों पड़े हैं।जबकि इनको भी पता है कि ईश्वर का मुख्य नाम ओंम् है।जबकि जओ पौराणिक आरती गाते हैं उन आरतियों के पहले भी ओंम् लगता है।जैसे-ओंम् जय जगदीश हरे।
ओंम् जय शिव ओंकारा।
आदि।

तो ये एक ऐसे नाम के ही पीछे क्यों पड़े हैं जो जन्म मरण से युक्त था।ये सिद्ध करना चआहते है कि ओंम् की जगह राम होना चाहिये.
जब ये बात सिद्ध ही नहीं होती तो हम कैसे मान लें कि राम ईश्वर का नाम है।

वेदों में या उपनिषदों में कही भी ऐसा नहीं आया कि राम ईश्वर का नाम है।
जबकि सभी धार्मिक ग्रन्थों में ओंम् शब्द ही ईश्वर का नाम बताया है।
फिर ये अपनी मूर्खता सिद्ध करने पर लगे हैं।
लेना है इन्हें राम का। नाम ही।ओंम् को ईश्वर का नाम नहीं मानते यें।चाहे कुछ ही हो जाये।
अगर राम ईश्वर का नाम होता तो वेदों में या उपनिषदों में जरुर आता लेकिन ओंम् का नाम ही सब वेदादि शास्त्रों में आता है।
फिर हम कैसे मान लें कि राम घट घट में व्यापक है।
……………भूपेश आर्य
नोट:- वैदिक जगत भगवान पुरुषोत्तम रामचन्द्र जी,महान पुरूष, वैदिक ज्ञानी, आज्ञापालक, परमबलवान,नीतिज्ञ,श्रेष्ठ राजा व पत्निव्रता के रूप मे आदर्श चित्रण करता है,और मानता है लेकिन किसी महान पुरूष को ईश्वर या ईश्वर का अवतार मान कर पाखण्ड करने मे विश्वास नही करता है सो महान पुरूषो के गुणो का गुणगाण करना चाहिए अपितु चित्र नही चरित्र पूजा करनी चाहिए |


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