Saturday, February 21, 2015

Farhana Taj भौतिकविद डा. हेगलिन ने वेदों को माना परमेश्वर की वाणी प्रस्तुति: फरहाना ताज एक ओर जहां...

Farhana Taj

भौतिकविद डा. हेगलिन ने वेदों को माना परमेश्वर

की वाणी

प्रस्तुति: फरहाना ताज

एक ओर जहां दिल्ली वाले प्रगति मैदान में बुक फेयर में पुस्तकें

खरीद रहे थे, वहीं दूसरी ओर

दो विदेशी विद्वान वेदो को परमेश्वर

की वाणी सिद्ध करने पर तुले थे और वे

भी कोई साधारण विदेशी नहीं, वरन

विदेशी शोधार्थी और वैज्ञानिक और मजे

की बात भारत के कुछ धर्मनिरपेक्ष

उनकी खिल्ली उडाते नजर आ रहे थे।

मेरी आंखों देखी पर विश्वास न

हो तो पीटीआई PTI NEWS की खबर

के अनुसार विवरण इस प्रकार है:

वैज्ञानिक वास्तविकताओं के आलोक में वैदिक भारत को पुनःस्थापित करने और

वैदिक दर्शन में रूचि जगाने की जरूरत को रेखांकित करते हुए देश

विदेश के विभिन्न शिक्षाविदों एवं संतों ने नई पीढ़ी में

वेदों के प्रति जागरूकता फैलाने की जरूरत बताई।

फाउंडेशन फार वैदिक इंडिया और महर्षि वेद व्यास प्रतिष्ठान द्वारा आयोजित

तीन दिवसीय सम्मेलन में विभिन्न शिक्षाविदों एवं

विद्वानों ने वैदिक ज्ञान के महत्व पर प्रकाश डाला।

यूरोपियन सेंटर फार पार्टिकिल फिजिक्स के शोधार्थी एवं भौतिकविद डा.

जान हेगलिन ने कहा कि विज्ञान के युग में वैदिक दर्शन, योग और ध्यान

का महत्व स्थापित हो चुका है। भारत

इसकी जन्मस्थली रही है, वेद

परमेश्वर की वाणी है, जो भारत .भूमि को सबसे पहले

मिली, ऐसे में फिर से वैदिक भारत को पुनः स्थापित करने

की जरूरत है। डा. बेवन मोरिश ने कहा कि वेद आधारित

शिक्षा आचार, व्यवहार एवं नैतिकता के विकास के लिए महत्वपूर्ण है।

किसी भारतीय छात्र को इससे वंचित

नहीं होना चाहिए। यह न केवल सजगता को बढावा देता है

बल्कि मस्तिष्क की क्षमता को भी बढ़ाने में सहायक

होता है। इसके साथ छात्र जीवन

की गुणवत्ता को नैसर्गिक कानून के अनुरूप सौहार्दपूर्ण ढंग से

बढावा देता है। स्वामी ब्रह्मस्वरूपानंद ने कहा कि गणित,

भौतिकी, प्रबंधन, कम्प्यूटर विज्ञान केवल मस्तिष्क के कुछ

हिस्सों पर ही केंद्रित होते हैं, ऐसे में छात्र

की सम्पूर्ण क्षमता एवं ज्ञान का विकास

नहीं हो पाता है। वैदिक ज्ञान इस दिशा में

छात्रों की सम्पूर्ण क्षमता का विकास करने में सहायक होता है।

Thursday at 6:32pm · Public · in Timeline Photos




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