Sunday, July 5, 2015

है,मतमतान्तरों ने ही धर्म की रीढ की हड्डी को तोडा है यज्ञ ईश्वर प्रदत्त एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है...

है,मतमतान्तरों ने ही धर्म की रीढ की हड्डी को तोडा है

यज्ञ ईश्वर प्रदत्त एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है जो शरीर मन आत्मा व वातावरण की शुद्धि व ध्यान समाधि में बहुत सहायक है| यज्ञ में डाले पदार्थ कभी नष्ट नहीं होते अपितु अति सूक्ष्मरुपों में परिवर्तित होकर दूर तक वायु को शुद्ध करते हैं और कई प्रकार के रोगों के कीटाणुओं का नाश कर हमारी रक्षा करते हैं |

अष्टांग योग का धैर्यपूर्वक निरन्तर अभ्यास करने से समाधि रुपी फल की प्राप्ति है यही सब वेदों उपनिषदों का सार है |

सब अपनी अपनी डफली बजा रहे हैं-किसकी मानें किसकी न मानें ?

वेद सृष्टि के आदि में ईश्वर द्वारा प्रदत्त विधि विधान है-इसमें सब मनुष्यों के लिये धर्म अधर्म,उचित अनुचित,कर्तव्य अकर्तव्य,भक्ष्य अभक्ष्य,न्याय अन्याय आदि सब आवश्यक बातों पर प्रकाश डाला गया है | यह दुर्भाग्य ही है कि कुछ लोग ईश्वरीय वाणी वेद की उपेक्षा करके अपनेी ही सुविधा व अल्प बुद्धि अनुसार नये नये सिद्धान्त व मत मजहव बना कर उस अनुसार चलने में ही बुद्धिमता समझते हैं |
वेदरुपी संविधान में उस विभु परमेश्वर ने पशुबलि,पाषाण पूजा,मांस भक्षण,अवतारवाद आदि का स्पष्ट निषेध किया है और शुद्ध ज्ञान कर्म उपासना का उपदेश किया है | जो जो मनुष्य व ग्रन्थ इन वेद विरुद्ध बातों का प्रचार करते हैं अथवा वेद मंत्रों के अर्थ का अनर्थ करते हैं ..वे सर्वथा निन्दनीय व दण्ड के पात्र हैं |


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