Thursday, March 5, 2015

"ओ३म् विश्वानि देव सवितर्दुरितानि परासुव । यद् भद्रम् तन्न आ सुव।। हे सकल जगत के उत्पत्ति करता,समस्त..."


ओ३म् विश्वानि देव सवितर्दुरितानि परासुव ।

यद् भद्रम् तन्न आ सुव।।


हे सकल जगत के उत्पत्ति करता,समस्त ऐश्वर्य युक्त, सब सुखों के दाता परमेश्वर, आप कृपा करके होली के पावन पर्व पर प्राणी मात्र के सम्पूर्ण दुर्गुण,दुर्व्यस्नों,दुखों को दुर कर दिजिये एवं जो कल्याणकारी गुण,कर्म और स्वभाव है वो हमें प्राप्त कराईये ।


सभी मित्रों को होली की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ।




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