Monday, December 14, 2015

(~भारत चालीसा या ।। गौरव-गान।। आर्य कवि पंडित जगदीशचन्द्र ”प्रवासी“) 11 - रामायण रामचन्द्र की गुण...

(~भारत चालीसा या ।। गौरव-गान।।
आर्य कवि पंडित जगदीशचन्द्र ”प्रवासी“)

11 - रामायण

रामचन्द्र की गुण गरिमा को गाती है वसुधा सारी।

चौदह वर्ष रहे वन में थे मात-पिता आज्ञाकारी।।

भ्रातृ-प्रेम के सु पुजारी थे अरु थे पत्नीव्रत धारी।

तन से मन से और कर्म से जो थे सब के हितकारी।।

रावण को मारा विभीषण को देदी लंका सारी।

बाली को हत, बना दिया सुग्रीव अनुज को अधिकारी।।

जाम्बवन्त, अंगद, नल, नील, बजरंग भक्त थे बलधारी।

लक्ष्मण, भरत, शत्रुघन भी थे राम भ्रात योद्धा भारी।।

तो रामायण की महिमा है गावत विश्व सुजान।

है भूमण्डल में भारत देश महान।।

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