भारत चालीसा या ।। गौरव-गान।।
आर्य कवि पंडित जगदीशचन्द्र ”प्रवासी“
8 - ऋषि-मुनि
जहां हुए ऋषि अग्रि, वायु, आदित्य, अंगिरा श्रुति ज्ञानी।
जहां हुए ऋषि व्यास, वाल्मिक जिनकी कृति जगती जानी।।
जहां हुए भृगु, वशिष्ट, विश्वामित्र अत्रि ऋषि संज्ञानी।
जहां हुए ऋषि भरद्वाज शुक अगस्त से ऋषि विज्ञानी।।
जहां हुए ऋषि परशुराम, दुर्वासा सम स्वाभिमानी।।
जहां हुए ऋषि पाणिनी, जैमिनी, ऋषि पिपलाद प्रभु ध्यानी।
मार्कण्डेय, मरीची और ऋषि नारद वक्ता नभ-वाणी।
जहां हुए ऋषि कौशिक, शौनक, यमाचार्य सम वर-दानी।।
गौतम, कपिल, कणाद, पतंजलि थे जहां ऋषि विद्वान।
है भूमण्डल में भारत देश महान।।
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