भारत चालीसा या ।। गौरव-गान।।
आर्य कवि पंडित जगदीशचन्द्र ”प्रवासी“
9 - देवगण
जहां हुए हैं ब्रह्मा, विष्णु महादेव प्रिय शिवशङ्कर।
जहां हुए हैं राम, कृष्ण, औ परशुराम से योगीश्वर।।
जहां हुए मनु, याज्ञवल्क्य, जनक वैश्यम्पायन श्रुतिवर।
जहां हुए रुक्मांगद, अर्लक, मयूरध्वज वसुदेव सुघर।।
जहां हुए प्रिय भूप अश्वपति, रन्तिदेव याचक सुखकर।
जहां हुए नृप दिलीप सम गोरक्षक, गोपालक प्रियवर।।
जहां हुए सुतपुत्र महा पृथु, पुरुरघु अज सम नृप सुन्दर।
जहां हुए बलि, हरिश्चन्द्र, शिबि, करण, दधीचि सुदानेश्वर।।
जहां हुए नृप इन्द्र, सन्तनु, पाण्डु महा बलवान।
है भूमण्डल में भारत देश महान।।
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