Sunday, April 12, 2015

मित्रों, आर्य समाज के छठे नियम में महर्षि गुरुवर देव दयानंद सरस्वती जी ने कहा है कि समाज की उन्नति...

मित्रों, आर्य समाज के छठे नियम में महर्षि गुरुवर देव दयानंद सरस्वती जी ने कहा है कि समाज की उन्नति करना ही आर्य समाज का मुख्य उद्देश्य है शारीरिक, आत्मिक और सामाजिक उन्नति करना। विचार करने योग्य बात यह है कि स्वामी जी ने समाज की उन्नति में ही राष्ट्र की उन्नति बताई है जब समाज उन्नत होगा तभी राष्ट्र उन्नत होगा और समाज कब उन्नत होगा जब हमारा गृहस्थ जीवन उन्नत होगा। गृहस्थ जीवन को किस प्रकार उन्नत और सुखमय बनाया जा सकता है इस विषय पर आपके सामने विचार रख रहा हूँ मित्रों गृहस्थ जीवन की शुरुआत वर वधू के पाणिग्रहण संस्कार के साथ होती है पाणिग्रहण संस्कार में सर्वप्रथम वरमाला का कार्यक्रम होता है जिसमें वर वधू एक दूसरे को माला पहनाते है वधु पहले वर को माला पहनाती है और वर बाद में वधु को माला पहनाते है क्या आपने कभी विचार किया है ऐसा क्यों होता है वधु ही पहले क्यों माला पहनाती है वर क्यों नहीं। मैं आपको बताता हूं मित्रों हमारी आर्य संस्कृति में वधु को ही वर चुनने का अधिकार है वर को वधु चुनने का नहीं। इसलिए पहले वधु माला डालकर वर का चुनाव करती है है ना कितनी महान हमारी संस्कृति जिसमें बेटियों को कितना उंचा सम्मान दिया गया है मैं निवेदन कर रहा था कि माला का एक नाम हार भी है हार फूलों का भी होता है और मोतियों का भी परंतु यहाँ हम जिस वरमाला की बात कर रहे हैं वह फूलों का हार होता है हार का एक अर्थ हार जाना या हार मान लेना भी होता है वरमाला के समय जब वर शीश झुकाता और वधू उसको वरमाला पहनाती है तब वर यह मनन करे कि हे देवी मैंने आपसे हार मान ली और मैं अपना शीश आपके सामने झुकाता हूँ और इसी प्रकार बाद में वधु मनन करे कि हे पतिदेव मैंने भी आपसे हार मान ली और मैं भी आपके सामने शीश झुकाती हूँ और वर वधू के गले में वरमाला डाल देता है मित्रों अगर इसी प्रकार एक दूसरे को मान देते हुए, वृद्ध जनों, माता पिता का सम्मान करते हुए वर वधू गृहस्थ जीवन को निभायें तो वह वरमाला जयमाला बन जाती है उनका गृहस्थ जीवन स्वर्ग बन जाता है उन्नत बन जाता है जब गृहस्थ उन्नत होगा तभी समाज उन्नत होगा और जब समाज उन्नत होगा तभी राष्ट्र उन्नत होगा। मित्रों इसलिए हम सभी को वेदों के बताए मार्ग पर चलते हुए अपने गृहस्थ जीवन को व्यतीत करना चाहिए। आप सभी के साथ गृहस्थ जीवन के बारे में थोड़ी सी चर्चा की उम्मीद करता हूं आप सभी इन बातों को अपने जीवन में धारण कर अपने गृहस्थ जीवन को सुखमय व उन्नत बनायेंगे। इति ओइम समः




from Tumblr http://bipinsavaliya.tumblr.com/post/116210429002

via IFTTT

No comments:

Post a Comment