Monday, April 6, 2015

हिन्दू क्यों नहीं बढा सकते मुस्लिमों की तरह जनसंख्या- विश्व हिन्दू परिषद्,हिन्दू सेना,बजरँग दल आदि...

हिन्दू क्यों नहीं बढा सकते मुस्लिमों की तरह जनसंख्या-


विश्व हिन्दू परिषद्,हिन्दू सेना,बजरँग दल आदि हिन्दू संगठन हिंदुओं से मुस्लिमों की तरह जनसंख्या बढ़ाने की बात करते हैं।आज भी VHP अध्यक्ष ने हिंदुओं को मुस्लिमों जितनी जनसंख्या बढ़ाने वाला बयान दिया है।

क्या हिंदुओं ने केंद्र में बहुमत की सरकार इसलिए ही बनवाई थी कि उन्हें ये बार-बार सुनने को मिले कि मुस्लिम बढ़ रहे हैं तुम भी जनसंख्या बढ़ाओ।ये तो हिंदुओं को मुस्लिमों से डराने वाली बातें हुई।अरे भाई मुस्लिमों की जनसंख्या को प्रतिबंधित करो।अगर नहीं कर सकते तो इससे यही साबित होता है कि बीजेपी के नेता भी मुस्लिमों से डरते है।अगर न डरते तो हिंदुओं को क्यों डराते।हिंदुओं ने बहुमत की सरकार इसीलिए तो बना के दी है कि तुम उनके सामने आने वाली समस्याओं को समाप्त कर सको।बीजेपी वालों को बर्मा देश से सीख लेनी चाहिए उन्होंने बौद्धों की जनसंख्या पे प्रतिबन्ध न लगाकर मुस्लिमों की जनसंख्या पर ही प्रतिबन्ध लगाया है।क्योंकि ये वर्ग ही वहां पर अन्य वर्गों की अपेक्षा सबसे ज्यादा जनसंख्या बढ़ा रहा था।


बीजेपी की नीति भी सदा से यही रही है कि वो हिंदुओं को मुस्लिमों से डराकर वोट हड़पती है।ऐसा कहने से क्या हिन्दू अपनी जनसंख्या बढ़ा देंगे।उन कारणों को जिनकी वजह से वो जनसंख्या नहीं बढ़ाते,जब तक उनको देखा,परखा नहीं जाएगा,तो तब तक वो कैसे जनसंख्या बढ़ा सकते हैं?

हिंदुओं में तमाम तरह की बुराइयां घर कर गयी है।उनके बारे में कोई बीजेपी नेता बोलना तक उचित नहीं समझता।हिन्दू जनसंख्या क्यों नहीं बढ़ा पाते।इसके बारे हिंदुओं के ठेकेदार नेता सोचते तक नहीं है।हिंदुओं का जनसंख्या वृद्धि न करने के बहुत सारे कारण हैं-


1-दहेज़ प्रथा को ही ले लीजिये।हिंदुओं को लड़की की मध्यम दर्जे की शादी करने में भी 10-15 लाख रूपए तक खर्च करने पड रहे हैं।इतने पैसों में कोई दम्पत्ति कम से कम 15 बच्चों को जन्म देके,पढ़ा लिखा के योग्य बना सकता है।लेकिन ये पैसे तो दहेज़ में चले गए।इसी प्रकार हिंदुओं में अनेक प्रकार की बुराई घर करती जा रही है, जिनका सम्बन्ध जनसंख्या वृद्धि बढ़ाने की बजाय घटाने से ही है।

2-कोई भी हिन्दू आज के समय में लड़की नहीं चाहता।कम से कम पहली बार में तो बिलकुल नहीं।अगर ईश्वरीय व्यवस्था के अधीन हो भी जाए तो अलग बात है।दूसरी या तीसरी बार अगर हो जाए तो उस गर्भ को गिरवा देते हैं।आखिर इसका क्या कारण है,क्योंकि बिना कारण के कोई काम नहीं होता।देखिये इसका कारण ये है कि लोग सोचते हैं कि लड़की होगी तो उसे पढ़ाना पडेगा।क्योंकि अनपढ़ लड़की को कौन पूछ रहा है।पढ़ाएंगे तो आजकल के माहोल खराब होने की वजह से झगड़ा भी हो सकता है,लड़की बिगड़ गयी तो इज्जत बचाने की वजह से ऑनर किलिंग होगा।फिर पढ़ा लिखा के उसके लिए काबिल लड़का ढूंढना पड़ेगा।फिर दहेज़ देना पडेगा।

3-अपनी संस्कृति के त्योहारों को छोड़कर पश्चिमी संस्कृति के अनेक त्यौहार जैसे बर्थ डे,वैलेंटाइन डे,न्यू इयर,सालगिरह आदि पे हिन्दू खामखा पैसे बहा रहे हैं।अपनी संस्कृति को भूलकर शराब,मांस,बीड़ी सिगरेट पर पैसा बहा रहे हैं।वो पैसा अगर बच्चों की परवरिश में लगाया जाए तो जनसंख्या क्यों नहीं बढ़ेगी।

4-हिंदुओं ने विदेशी संस्कृतियों की नक़ल करके अपने त्योहारों का भी पश्चिमीकरण कर दिया है।हिन्दू लोग होली,दीपावली जैसे शुभ त्योहारों पर भी शराब पी रहे हैं।

5-हिन्दू अपनी जनसंख्या विकास दर के हिसाब से बढ़ाता है।जब आमदनी अठन्नी हो और खर्च रूपया हो तो हिन्दू जनसंख्या बढ़ाकर क्या बीजेपी नेताओं से भीख मांगेंगे?विकास का बहुत सारा पैसा,नौकरी/रोजगार तो उन्ही लोगों के हिस्से में चला जाता है,जिनसे ज्यादा जनसंख्या बढ़ाने की ये लोग बात करते हैं।


हिंदुओं में अनेक प्रकार की बुराइयों का एकमात्र कारण उनका लगातार धर्म से विमुख होना है।इन बुराइयों को कोई भी क़ानून नहीं रोक सकता।सभी बुराइयों का समाधान अध्यात्म में है।इसलिए आध्यात्मिक ज्ञान ही हिंदुओं की बुराइयों को समाप्त कर सकता है।पहले हिंदुओं में बुराई कम थी तो उसका कारण उनको आध्यात्मिक ज्ञान ज्यादा था।लेकिन जो भी बुराई बढ़ी हैं उनका कारण आध्यात्मिक ज्ञान का प्रचार-प्रसार न होना है।

आज के समय में ज्यादातर हिन्दू लोग ऐसे हैं जो किसी संगठन से नहीं जुड़े हैं।स्वतन्त्र होके जो चाहते हैं,वो करते हैं।यही उनके पतन का कारण है।आर्य समाज और RSS ऐसे दो संगठन हैं,जो हिंदुओं की बुराइयों को दूर कर सकते हैं।सभी हिंदुओं को सिर्फ इन्ही दो संगठनों से जुड़ना चाहिए।अन्य सङ्गठनों को बैन करके सभी हिंदुओं का रजिस्ट्रेशन इन संगठनों के लिए अनिवार्य करना चाहिए।ये संगठन ही हिंदुओं की बुराई दूर करके उन्हें एकजुट कर सकते हैं।

हिंदुओं में सुधार का काम बीजेपी के नेता नहीं करेंगे।क्योंकि उनका काम जैसा आप चाहते हैं ऐसा करना है।उन्हें तो राजनीति करनी है।आप जैसी स्थिति में हैं,वो आपको ऐसी ही स्थिति में खुश करेंगे।क्योंकि इसके उल्टा करने के कारण उन्हें राजनीति नुकसान उठाना पड सकता है।इसलिए सुधरना खुद ही पड़ता है।

आज के समय में लोकतन्त्र है।लोकतन्त्र का अर्थ होता है-जनता का,जनता के लिए,जनता के द्वारा शासन।इसमें जैसी जनता होती है,वैसा ही नेता होता है।यह स्थिति राजतन्त्र के बिलकुल विपरीत होती है।राजतन्त्र में राजा का कर्त्तव्य होता है जनता को सुधारना।लेकिन लोकतन्त्र में राजा जनता को बिगाड़ते हैं।फ्री की योजनाएं चलाना जनता को निकम्मा बनाकर जनता को बिगाड़ना ही तो है।मनुष्य का स्वभाव स्वार्थ और आराम का होता है।उसे सही रास्ते पर चलाने के लिए उसका किसी उचित व्यवस्था से जुड़ा होना जरूरी है,अन्यथा उसका अपने स्वार्थ में पतन होना निश्चित है।ठीक यही स्थिति हिंदुओं पर लागू हो रही है।वे किसी उचित व्यवस्था से नहीं जुड़े हुए हैं।यही उनकी सब बुराइयों का कारण है।हिन्दू एक भीड़ के रूप में है,जिनका उद्देश्य धर्म न होकर किसी न किसी तरीके से पैसे इकठ्ठा करना है।




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