Wednesday, April 29, 2015

वृद्धसेवया विज्ञानम् मनुष्य वृद्धों की सेवा से ही व्यवहारकुशल होता है और उसे अपने कर्तव्य की पहचान...

वृद्धसेवया विज्ञानम्

मनुष्य वृद्धों की सेवा से ही व्यवहारकुशल होता है और उसे अपने कर्तव्य की पहचान होती है ।
वृद्धों की सेवा से व्यक्ति को इस बात का पता चलता है कि कौन-सा कार्य करने योग्य है और कौन-सा न करने योग्य । इसका भाव यह है कि वृद्ध व्यक्ति ने अपने जीवन में बहुत कुछ सीखा है, उसने बहुत मामलों में अनुभव प्राप्त किया होता है । यदि कोई व्यक्ति सांसारिक कार्य-व्यवहार में कुशलता प्राप्त करना चाहता है तो उसे बूढ़े व्यक्तियों की सेवा करनी चाहिए । उनके अनुभवों से लाभ उठाना चाहिए । जो मनुष्य ज्ञान-वृद्ध लोगों के पास निरंतर उठता-बैठता है और उनमें श्रद्धा रखता है, वह ऐसे गुण सीख लेता है कि उसे समाज में अपने आचार-व्यवहार से सम्मान प्राप्त होता है । वह धोखे बाज और पाखंड़ी लोगों के चक्रव्यूह में नहीं फंसता ।
इस सूत्र में जो विज्ञानम् शब्द आया है उसका अर्थ केवल व्यवहारकुशल होना ही नहीं वरन् संसार की अनेक ऐसी बातें हैं जिनका ज्ञान वृद्ध लोगों के पास आने-जाने,उनके उपदेशों और उनकी संगति करने से प्राप्त होता है । वे अपने अनुभव से उनका जीवन सरल बनाने में सहायक होते हैं । इस प्रकार विज्ञान का अर्थ एक व्यापक जानकारी से है । जिसकी प्राप्ति केवल पुस्तकों से ही संभव नहीं । क्योंकि उन्हें पढ़ने, समझने और ज्ञान प्राप्त करने में काफी समय लगता है । वृद्ध पुरूषों के पास जीवन का निचोड़ होता है, इसलिए वृद्धों की सेवा श्रद्धा और भक्तिपूर्वक करने से मनुष्य संसार के अनेक महत्तवपूर्ण ज्ञान सरलतापूर्वक ग्रहण कर सकता है ।
चाणक्य
Ns.group. Ajmer.


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