Sunday, April 19, 2015

सत्य को ग्रहण करने और असत्य को छोड़ने में सर्वदा उद्धत रहना चाहिए यही वेद आज्ञा है, मनुष्यों को धर्म...

सत्य को ग्रहण करने और असत्य को छोड़ने में सर्वदा उद्धत रहना चाहिए यही वेद आज्ञा है, मनुष्यों को धर्म पथ पर चलते रहना चाहिए, और इसके लिए नित्य ईश्वर से प्रार्थना करें की ईश्वर आपको सन्मार्ग दिखाए सदैव धर्म की राह पर ही आगे बढाए

वेद हमें आज्ञा देते है की मनुष्यों को जीवन पर्यन्त धर्माचरण में ही रहना चाहिए जिससे उसे मोक्ष की प्राप्ति हो सके

यजुर्वेद ४-२८(4-28)

परि॑ माग्ने॒ दुश्च॑रिताद्बाध॒स्वा मा॒ सुच॑रिते भज । उदायु॑षा स्वा॒युषोद॑स्थाम॒मृताँ॒ अनु॑ ॥४-२८॥

भावार्थ:- मनुष्यों को योग्य है कि अधर्म के छोड़ने और धर्म के ग्रहण करने के लिये सत्य प्रेम से प्रार्थना करें, क्योंकि प्रार्थना किया हुआ परमात्मा शीघ्र अधर्मों से छुड़ा कर धर्म में प्रवृत्त कर देता है, परन्तु सब मनुष्यों को यह करना अवश्य है कि जब तक जीवन है, तब तक धर्माचरण ही में रहकर संसार वा मोक्षरूपी सुखों को सब प्रकार से सेवन करें।।

कुछ जिज्ञासु बंधू इन मन्त्रों के व्याख्या सहित भावार्थ मांगते है उनसे मेरी विनती है की आप सम्पूर्ण शब्द व्याख्या के लिए हमारी वेबसाइट से वेद डाउनलोड कर लें और पढ़े

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