Monday, April 6, 2015

पहली बात तो ये ही है कि “हनुमान ” नाम मनुष्यों का होता है… अच्छा चलिए…ये...

पहली बात तो ये ही है कि “हनुमान ” नाम मनुष्यों का होता है… अच्छा चलिए…ये बताइए… क्या बंदरों का भी नामांकरण होता है ? अगर नहीं तो सिर्फ एक ही प्राणी का नामांकरण क्यूँ किया गया ? जाहिर वो इंसान रूप ही थे ….इसलिए .हनुमान जी के दादा जी का नाम प्रह्लाद विद्याधर था वह शूर वीर धर्म प्रेमी थे , विद्याप्रेमी भीबहुत थे तभी उनको :“विद्याधर ” की उपाधि मिली थी..


उनका विवाह केतुमती नामक कन्या से हुआ था ! उन्होने एक सुन्दर बालक को जन्म दिया उसका नामकरण संस्कार करके पवन कुमार नाम रखा गया था वह भी बहुत बुद्धिमान व वीर पुरुष थे! महर्षी अगस्त्य के आश्रम मे वेद वेदांग की शिक्षा ग्रहन की थी!


महेन्द्र पुर के राजा महेन्द्र राय की पुत्री अंजना जो स्वयं विद्यावान थी पवन जी का विवाह उनसे हुआ था,

उनसे जन्मे बालक का नामकरण संस्कार हनुमान जी के रूप हुआ था !

ऐसे ही बाली सुग्रीब आदि भी मनुष्य थे वह बानर जाती के जरूर थे लेकिन बंदर नही थे


बंदरो को भी बानर कह दिया जाताहै

इसलिये इस भ्रम का जन्म हुआ………….जैसे ३३ कोटि अर्थात इसका मतलब होता है ३३ प्रकार लेकिन कुछ ने इस कोटि का मतलब ….“प्रकार”…..कि जगह ….“करोड़”…..लगा दिया


हनुमान जी का शरीर वज़्र समान था , इसलिये उनको वज्र+ अंग+ बली = वज्रांग बली, अपभ्रंश होकर बजरंग बली कहलाये जाने लगे !


अगर हनुमान जी बंदर होते तो उनके दादा जी तक के नामकरण संस्कार क्यो होता ?

उनका सीता जी से संवाद क्यो होता? राम जी से लक्षमन जी से भरत जी आदि से संवाद क्यो होता? एक मनुष्य ही मनुष्य कि भाषा में इतने सारे लोगों से कर सकेगा …….


अब समाज मे हनुमान जी" बंदर" क्यो बने?


एक तो वह बानर जाती के थे और राम जी के बहुत ज्यादा भक्त और आज्ञाकारी होने कि वजह से राम जी के दल मे हनुमान जी पूछ बहुत ज्यादा थी वही पूछ, अपभ्रंश होकर" पूंछ “ बन गयी !

रावण की लंका मे जो उन्होने विशेष प्रकार कपड़े आदि को कमर मे लपेट कर उसमे आग लगाकर जगहजगह आग लगाई उसको भी बाद मे "पूंछ” समझ लिया गया ! और बाकी तो सब जानते है कि जब एक बार ये धारणा शुरू हुयी कि हनुमान जी बन्दर थे तो फिर उसी हिसाब से रामायण में और जगह जगह पर कहानी को जोड़ा गया…


इस तरह से वीर हनुमान का अपना ही समाज उनका “बंदर” के रूप मे पेश करके उनका अपमान करता है ! आज के दिन संकल्प ले, हनुमान समान अपना शरीर बनायेंगे

नशा मुक्त, मांसाहार मुक्त अपना जीवन बनायेंगे और अपने समाज को मजबूत बनायेंगे.. और दुष्टों कि लंका में आग लगा देंगे….जय श्री राम ..




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