Tuesday, September 13, 2016

★ सरकार से प्रश्न ??????? अगर 3 बार मुख्य मंत्री बनने के बाद अभी भी मायावती जी दलित हैं और 66 साल...

★ सरकार से प्रश्न ???????

अगर 3 बार मुख्य मंत्री बनने के बाद अभी भी मायावती जी दलित हैं और 66 साल तक आरक्षण का लाभ लेकर भी वह समाज दलित है तो जरूर #आरक्षण की वर्तमान प्रणाली में दोष है ।

सैकडों IAS , IPS , PCS और लाखों श्रेष्ठ उम्मीदवार के अधिकार हडपने के बाद भी दलित , अब तक दलित हैं ।

कई मंत्री, सैकड़ों विधायक व सांसद होने के बाद भी अब तक दलित दलित हैं … तो समस्या मानसिकता में है ।

क्या आपने कभी सोचा कि जिस आरक्षण व्यवस्था का प्रावधान आज़ादी के बाद भारत सरकार ने किया था , उस वर्ष यदि किसी 18 वर्ष के व्यक्ति ने यदि आरक्षण का लाभ लिया होगा तो 2017 में उसकी पांचवीं पीढ़ी आरक्षण का लाभ लेने जा रही है।

क्या आपको लगता है कि बाबू जगजीवन राम जो कि इंदिरागांधी के काल में केंद्रीय मंत्री रहे उनके परिवार की मीरा कुमार या किसी अन्य को आरक्षण दिया जाना चाहिए ????

पी एल पूनिया जो कि उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव रह चुके हैं उनके परिवार के किसी सदस्य को आरक्षण की दरकार है????

वर्ष 1902 में शाहू जी महाराज ने अपनी रियासत में पहला आरक्षण का प्रावधान किया था। 1908 एवं 1909 में अंग्रेजी हुकूमत ने “मिंटो मार्ले ” कानून बना कर भारत में आरक्षण की व्यवस्था लागु की थी।

लेकिन वर्ष 2015 में यानि की 106 साल बाद भी अगर समस्या का निदान नहीं हो पाया है तो ज़रूर सिस्टम में कोई कमी है।

1950 से ही पब्लिक रिप्रजेंटेशन एक्ट के द्वारा हर पांच साल में आरक्षित वर्ग से लगभग 131 सांसद लोकसभा में पहुंचते है, क्या आपको लगता है कि वर्तमान चुनाव प्रणाली में कोई गरीब चुनाव लड़ सकता है ????

बसपा जो की आरक्षण का पुरज़ोर समर्थन करती है एक एक विधायक से टिकट आवंटन के लिए मीडिया मे छपीं खबरों के अनुसार करोड़ों रुपये लेती है,क्या इन लोगों को वाकई आरक्षण की ज़रुरत है????

सरकारें निशुल्क किताबें बाँट रहीं हैं , सरकारी विद्यालयों में फीस न के बराबर है, इंजिनीरिंग तक की पढाई में वजीफे बांटे जा रहे हैं और इन सबके बादआरक्षण और फिर पदोनन्ति के लिए आरक्षण पर आरक्षण।

हर कदम पर सरकारें समाज में विद्वेष पैदा करके इसे विभक्त किये जा रही हैं।

क्या सरकारें जितना पैसा इन साधनों पर खर्चकर रही हैं , उसमे यदि सरकारी विद्यालयों में शिक्षा पूर्णताः निशुल्क करके अनिवार्य कर दें । विशेषकर उनके लिए जो वर्तमान में आरक्षित वर्ग है और जिसके परिवार ने अभी तक आरक्षण का लाभ नहीं लिया है तथाउनके लिए उत्कृष्ट किस्म की कोचिंग खोल दें या वर्तमान कोचिंग चलाने वालों को ऐसे विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए सब्सिडी दे दे ।

निःशुल्क पढाई और कोचिंग आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग के सभी अभ्यर्थियों को दी जाये ।

क्या यह समाधान नहीं हो सकता ????? तत्पश्चात विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के फॉर्म भी निशुल्क कर दें और अंत में योग्यता के आधार पर चयन करें तो कहीं से बहुत बोझ नहीं बढ़ेगा और जातिवाद को बढ़ावा भी नहीं मिलेगा ।

परन्तु समाज में फैलता हुआ यह विद्वेष का ज़हर कहीं तो रुकेगा।

समाज , वर्ग और जाति इस आधार पर देश बँट रहा है और देश का विकाश बाधित हो रहा है । इसके लिए दोषी कौन ??? सरकार या कोई और ???

#आरक्षण के लेने और देने के नाम देश के हजारों करोड़ की संपत्ति बर्बाद हो रहा है । इसका दोषी कौन ??? सरकार या कोई और ????

#आरक्षण के कारण GENERAL CATEGORY पर सभी तरह से दवाब बढ़ता जा रहा है ।

सरकार की #आरक्षण नीति के कारण देश में GENERAL CATEGORY में एकता बढ़ती जा रही है जो आगे चलकर #दलित और #मुसलमान के बाद यह वर्ग का वोट बैंक की कीमत बढ़ जायेगी ।

अगर सरकार इसी तरह #आरक्षण पर #आरक्षण , बढती रही तो 21वीं सदी का भारत तीन वर्गों में बटा मिलेगा ।

1 – मुसलमान

2 – दलित और

3 – GENERAL CATEGORY

इस तरह देश को बाँटने में सिर्फ और सिर्फ सरकार दोषी है ।

#न्यायपालिका से अनुरोध है कि सरकार की #आरक्षण नीति की समीक्षा करें वर्ना देश की एकता और अखंडता को खतरा बढ़ गया है ।

जय हिंद जय भारत । वंदेमातरम


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