Monday, September 26, 2016

मॆनॆ ढुंढा अपना शरीर वामॆ पाया अलख अमिर मांइ मॆ ताॆ बन गया फकिर जी ✺प जनमाॆ जनम का मॆल चडिया धॆाबी...

मॆनॆ ढुंढा अपना शरीर
वामॆ पाया अलख अमिर
मांइ मॆ ताॆ बन गया फकिर जी
✺प
जनमाॆ जनम का मॆल चडिया
धॆाबी मीलीया पीर जी
घर्म घाट पॆ दॆ पछाडा
नहाया निरमळ निर
मांइ मॆ ताॆ बन गया फकिर जी
✺र
अल्लाहु का जाप जपीया
तब ताॆ आइ धीर जी
नुरता सुरता ऎक किनी
हुवा मनवा स्थीर
मांइ मॆ ताॆ बन गया फकिर जी
✺ब
बिन बादल ऎक बिजली चमकॆ
जरमर बरसॆ निर जी
अनहद निशदिन नाॆबत बाजॆ
ग्नान घर हॆ गंभीर
मांइ मॆ ताॆ बन गया फकिर जी
✺त
सुरता सुनमॆ आंय ठॆहरी
अवघट घाट कॆ तीर जी
तन काॆ ताॆडा मन काॆ जाॆडा
कंचन हुवा हॆ शरीर
मांइ मॆ ताॆ बन गया फकिर जी

डुंगर चडीया दॆखी मढीया
भया मॆ शुरविर जी
दास सत्तार गुरु क्रिपा सॆ
अमर हुइ जागीर
मांइ मॆ ताॆ बन गया फकिर जी

✺टाइपींग~परबत गाॆरीया✺


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