Thursday, September 15, 2016

ओ३म् सूर्यो ज्योतिः ज्योतिः सूर्यः स्वाहा~~~~~~~~~~जगमग सूरज चमक रहा है, जिसमें ज्योति तुम्हारी है|...

ओ३म् सूर्यो ज्योतिः ज्योतिः सूर्यः स्वाहा~~~~~~~~~~जगमग सूरज चमक रहा है, जिसमें ज्योति तुम्हारी है| कर प्रकाश सबके अंतरमें , स्वप्रकाश भंडारी है|| प्रातःकाल की पावन वेला, तुझसे ऊर्जा पाते हैं| तेरा वेद विमल गायन कर , तुझको शीश नवाते हैं||👏 शुभ प्रभातम् 🌞सबको सादर सप्रेम नमस्ते🙏🙏🌺🌺🙏🙏


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