“जो मानव साहस पूर्वक चलता है उस के जीवन में समृद्धि के फूल खिलते हैं, वह अमृत मधुर फलों को चखता है, उस के पाप और दुःख थककर स्वयमेव सो जाते हैं..! सूर्य के परिश्रम को देखो जो चलते हुए कभी नहीं थकता, तुम भी बढे चलो, चलते रहो..!! चरैवेति चरैवेति..!!!”
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