Wednesday, September 30, 2015

यजुर्वेद 8-17 (८-१७) धा॒ता रा॒तिः स॑वि॒तेदञ्जु॑षन्ताम्प्र॒जाप॑तिर्निधि॒पा दे॒वो अ॒ग्निः । त्वष्टा॒...

यजुर्वेद 8-17 (८-१७) धा॒ता रा॒तिः स॑वि॒तेदञ्जु॑षन्ताम्प्र॒जाप॑तिर्निधि॒पा दे॒वो अ॒ग्निः । त्वष्टा॒ विष्णुः॑ प्र॒जया॑ सररा॒णा यज॑मानाय॒ द्रवि॑णन्दधात॒ स्वाहा॑ ॥ भावार्थ:- गृहस्थों को उचित है कि यथायोग्य रीति से निरन्तर गृहाश्रम में रह के अच्छे गुण कर्मो का धारण, ऐश्वर्य की उन्नति तथा रक्षा, प्रजापालन, योग्य पुरूषों को दान, दुःखियों को दुःख छुड़ाना, शत्रुओं को जीतने और शरीरात्मबल में प्रवृत्ति आदि गुण धारण करें।। पंडित लेखराम वैदिक मिशन www.aryamantavya.in www.onlineved.com http://ift.tt/18FvwLS subscribe you tube channel “pandit lekhram vedic mission”


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