Monday, September 21, 2015

चमत्कारों का सच प्रकृति-नियम के विरुद्ध कोई कार्य होकर सामने आ जाए तो उसको जनता चमत्कार कहती हैं ।...

चमत्कारों का सच प्रकृति-नियम के विरुद्ध कोई कार्य होकर सामने आ जाए तो उसको जनता चमत्कार कहती हैं । लोग चमत्कार को नमस्कार करते हैं । सच तो यह है कि चमत्कार बिल्कुल नहीं होते , न ही हो सकते हैं , क्योंकि प्रकृति के नियम ऋत हैं, सत्य हैं, नित्य हैं , वे अपरिवर्तनशील होते हैं ; क्योंकि वे ईश्वरकृत होते हैं । असंभव को संभव स्वयं ईश्वर भी नहीं कर सकता ( वह अपने ही नियमों को क्योंकर तोड़ सकता है । वह सर्वज्ञ है अत: उसके बनाए नियम भी अटल हैं । ) प्राकृतिक-नियम बदलने लगे तो ईश्वर विकारी हो जाएगा । ईश्वर अज्ञानी कहलाएगा । सृष्टि के सभी कार्य डांवाडोल हो जायेंगे । अत: अनहोनी बातों पर मूर्ख , पाखंडी , ढोंगी , निराश-हताश-कमजोर लोग ही विश्वास करते हैं । प्राकृतिक-नियम अनेक हैं । जितने-जितने नियमों को मनुष्य ने समझा , परखा , उनको आगे चलकर ‘विज्ञान’ कहतें हैं । वेद सब सत्य विद्याओं का ईश्वरीय ज्ञानकोष हैं । रेडियो , टी० वी० , इंटरनेट , कम्प्यूटर , विमान क्या कम चमत्कार हैं ? चमत्कार नहीं , विज्ञान हैं जो मानव जाति को सर्वप्रथम वेदों से मिला हैं । विज्ञान के बल पर जो करते है चमत्कार । अविद्वान ही करते है इन सबको नमस्कार ॥ - वैदिक धर्मी अब जरा अज्ञानी-अंधविश्वासी-नास्तिक मूर्खों के मानने वाले चमत्कारों का सच जानें – इन चमत्कारों के पीछे कुछ रसायनों का कमाल होता है। आईये इनके बारे में जानते हैं। 1. पानी से दीये या लैंप जलाने के लिए नीचे कैल्शियम कार्बाइड के कुछ टुकड़े डाले जाते हैं । पानी डालते ही रसायनिक क्रिया होगी और एसिटिलीन गैस पैदा होगी । एसिटिलीन गैस तेज चमक से जलती हैं । 1918 ई० में मरे मुस्लिम फ़कीर साईं बाबा भी इसी चमत्कार से भक्तों को आश्चर्य चकित करते थे । 2. हड्डी पर फ़ास्फ़ोरस या गन्धक लगाकर सुखा दें । बाद में पानी के छींटे मारने पर धुंआ निकलता है । 3. अकरकरा और नौसादर को घीक्वार के रस में पीसकर पैरों के तलवों पर अच्छी तरह मल लिया जाता हैं , फिर पैर गर्म आग या अंगारों पर रखने से नहीं जलते हैं । 4. अलमुनियम के सिक्के पर मरक्यूरिक क्लोराइड का घोल चडा दें । पानी से गीली हथेली में पकडने से सिक्का राख में बदल जाता है । 5. आक के दूध से हाथ पर ” राम ” लिखें ।इसके बाद सुखा लें । बाद में राख मलने पर अदृश्य लिखा हुआ ” राम ” चमकने लगेगा । 6. कागज की कढ़ाई बनाकर उसकी तली में फिटकरी , सुहागा , और नमक का लेप कर देने से उसमें सरसों का तेल रखकर पकौड़ी बनाई जा सकती है , कागज नहीं जलेगा । 7. चमकीली पन्नी में सोडियम का चूर्ण लगायें । मिट्टी के तेल से भिगोये हुये रूमाल के बीच में रखें । मिट्टी के तेल के सम्पर्क में नहीं जलेगा । लेकिन गीले हाथ में आते ही जल उठेगा । 8. फ़ास्फ़ोरस मुंह में रखकर बाहर थूक देने पर जल उठता है । 9. साँप की केंचुली की बत्ती बनाकर तेल भरे दीपक में जला देने पर सर्वत्र साँप ही साँप रेंगते दिखाई पड़ते है। अधिक जानकारी के लिए जादूगर सम्राट आर्य शिवपुजन सिंह कुशवाहा की पुस्तक “जादू विद्या रहस्य” पढ़ें । ( नोट : कृपया बिना अभ्यास के स्वयं इनको न करें । ) 10. वह व्यक्ति जो अपने चमत्कार की वैज्ञानिक जांच-पड़ताल करने की इजाजत नहीं देता वह धोखेबाज़ है । 11. वह व्यक्ति जो किसी चमत्कार की वैज्ञानिक जांच करने की हिम्मत नहीं जुटाता वह अंधविश्वासी है । 12. वह व्यक्ति जो बिना जांच-पड़ताल किए किसी चमत्कार में विश्वास कर लेता है मूर्ख होता हैं । चमत्कारों का सच truth of miracles भाइयों ! चमत्कार कहकर स्वार्थी लोगों ने शिक्षित-अशिक्षित लोगों को खूब लूटा है और अज्ञानी लोग लुटते रहते हैं । सावधान हो जाइये । संपादक :- वैदिक धर्मी


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