Sunday, November 1, 2015

भारत स्वतंत्र नही हुआ है - श्री राजीव दीक्षित जी——भाग —5–भारत में आज़ादी की...

भारत स्वतंत्र नही हुआ है - श्री
राजीव दीक्षित जी——भाग —5–भारत में आज़ादी की लड़ाई हुई तो वो ईस्ट
इंडिया कम्पनी के खिलाफ था और संधि के
हिसाब से ईस्ट इंडिया कम्पनी को भारत
छोड़ के जाना था और वो चली भी गयी
लेकिन इस संधि में ये भी है क़ि ईस्ट इंडिया
कम्पनी तो जाएगी भारत से लेकिन बाकि
126 विदेशी कंपनियां भारत में रहेंगी और
भारत सरकार उनको पूरा संरक्षण देगी | और
उसी का नतीजा है क़ि ब्रुक बोंड, लिप्टन,
बाटा, हिंदुस्तान लीवर (अब हिंदुस्तान
यूनिलीवर) जैसी 126 कंपनियां आज़ादी के
बाद इस देश में बची रह गयी और लुटती रही और
आज भी वो सिलसिला जारी है |
अंग्रेजी का स्थान अंग्रेजों के जाने के बाद वैसे
ही रहेगा भारत में जैसा क़ि अभी (1946 में) है
और ये भी इसी संधि का हिस्सा है | आप
देखिये क़ि हमारे देश में, संसद में,
न्यायपालिका में, कार्यालयों में हर कहीं
अंग्रेजी, अंग्रेजी और अंग्रेजी है जब क़ि इस देश
में 99% लोगों को अंग्रेजी नहीं आती है | और
उन 1% लोगों क़ि हालत देखिये क़ि उन्हें
मालूम ही नहीं रहता है क़ि उनको पढना
क्या है और UNO में जा के भारत के जगह
पुर्तगाल का भाषण पढ़ जाते हैं |
आप में से बहुत लोगों को याद होगा क़ि
हमारे देश में आजादी के 50 साल बाद तक संसद
में वार्षिक बजट शाम को 5:00 बजे पेश किया
जाता था | जानते है क्यों ? क्योंकि जब
हमारे देश में शाम के 5:00बजते हैं तो लन्दन में
सुबह के 11:30 बजते हैं और अंग्रेज अपनी
सुविधा से उनको सुन सके और उस बजट की
समीक्षा कर सके | इतनी गुलामी में रहा है ये
देश | ये भी इसी संधि का हिस्सा है |
1939 में द्वितीय विश्व युद्ध शुरू हुआ तो
अंग्रेजों ने भारत में राशन कार्ड का सिस्टम
शुरू किया क्योंकि द्वितीय विश्वयुद्ध में
अंग्रेजों को अनाज क़ि जरूरत थी और वे ये
अनाज भारत से चाहते थे | इसीलिए उन्होंने
यहाँ जनवितरण प्रणाली और राशन कार्ड क़ि
शुरुआत क़ि | वो प्रणाली आज भी लागू है इस
देश में क्योंकि वो इस संधि में है | और इस राशन
कार्ड को पहचान पत्र के रूप में इस्तेमाल उसी
समय शुरू किया गया और वो आज भी जारी
है | जिनके पास राशन कार्ड होता था उन्हें
ही वोट देने का अधिकार होता था | आज
भी देखिये राशन कार्ड ही मुख्य पहचान पत्र
है इस देश में |
अंग्रेजों के आने के पहले इस देश में गायों को
काटने का कोई कत्लखाना नहीं था | मुगलों
के समय तो ये कानून था क़ि कोई अगर गाय
को काट दे तो उसका हाथ काट दिया
जाता था | अंग्रेज यहाँ आये तो उन्होंने पहली
बार कलकत्ता में गाय काटने का कत्लखाना
शुरू किया, पहला शराबखाना शुरू किया,
पहला वेश्यालय शुरू किया और इस देश में जहाँ
जहाँ अंग्रेजों की छावनी हुआ करती थी वहां
वहां वेश्याघर बनाये गए, वहां वहां
शराबखाना खुला, वहां वहां गाय के काटने के
लिए कत्लखाना खुला | ऐसे पुरे देश में 355
छावनियां थी उन अंग्रेजों के | अब ये सब क्यों
बनाये गए थे ये आप सब आसानी से समझ सकते हैं
| अंग्रेजों के जाने के बाद ये सब ख़त्म हो
जाना चाहिए था लेकिन नहीं हुआ क्योंक़ि
ये भी इसी संधि में है |
हमारे देश में जो संसदीय लोकतंत्र है वो दरअसल
अंग्रेजों का वेस्टमिन्स्टर सिस्टम है | ये
अंग्रेजो के इंग्लैंड क़ि संसदीय प्रणाली है | ये
कहीं से भी न संसदीय है और न ही
लोकतान्त्रिक है| लेकिन इस देश में वही
सिस्टम है क्योंकि वो इस संधि में कहा गया है
| और इसी वेस्टमिन्स्टर सिस्टम को महात्मा
गाँधी बाँझ और वेश्या कहते थे (मतलब आप
समझ गए होंगे) |
दीपक खण्डेलवाल


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