Friday, November 6, 2015

।।ओ३म्।। ७.११.२०१५ 🚩विवेक वैराग्य🚩 धनानि भूमौ पशवश्च गोष्ठे भार्या...

।।ओ३म्।।
७.११.२०१५
🚩विवेक वैराग्य🚩

धनानि भूमौ पशवश्च गोष्ठे
भार्या गृहद्वारि जनः श्मशाने।
देहश्चितायां परलोकमार्गे
कर्मानुगो गच्छति जीव एकः।।

अर्थ- मनुष्य जब मरता है तब सारी धन सम्पत्ति भूमि पर ही पड़ी रह जाती है
पशु बाड़ें में खड़े रहते है पत्नी घर के दरवाजे तक साथ देती है । मित्र बन्धु सम्बन्धी श्मशान तक साथ चलते है ।
यह शरीर चिता पर जलकर भस्म हो जाता है । यदि जीवात्मा के साथ परलोक में कोई जाता है तो वह कर्म ही है जो उसने जीवित रहते अच्छा या बुरा किया है और कोई साथ नही चलता।
(आर्य पुत्र कानड़)
ओ३म्


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1 comment:

  1. Sir is this from puran ?? If yes can you tell me the name ?.

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