Sunday, May 17, 2015

२ जयेष्ट 16 मई 15 😶 “ साथी बनो ” 🌞 🔥 ओ३म् त्वां जना मम सत्येष्विन्द्र...

२ जयेष्ट 16 मई 15
😶 “ साथी बनो ” 🌞

🔥 ओ३म् त्वां जना मम सत्येष्विन्द्र सन्तस्थाना वि ह्व्यन्ते समीके।
🍃🍂 अत्रा युजं कृणुते यो हविष्मान् ना सुन्वता संख्यं वष्टि शूर: ॥ 🍂🍃
ऋ० १० । ४२ । ४ ; अथर्व० २० । ८९ । ४

शब्दार्थ:– हे परमेश्वर !
मेरा पक्ष सच्चा है, ऐसे अपने झगड़ो में, स्पर्दाओ में मनुष्य तुझे विविध प्रकार से पुकारते है । एवं युद्ध में, संग्राम में स्थित हुए,अड़े हुए मनुष्य भी तुझे अपने-अपने पक्ष में पुकारते है,परन्तु इस संसार में
हे मनुष्यों !
जो मनुष्य बलिदान के लिए तैयार है उसे ही वह इन्द्र अपना साथी बनाते है वह इंद्र यज्ञ के लिए सवन ना करने वाले अनुध्मी पुरष के साथ कभी मित्रता नही चाहता ।

विनय :- हे परमेश्वर !
केवल राजनितिक क्षेत्र में ही नही अपितु साहितिय्क, वैज्ञानिक,सामजिक,धार्मिक सभी क्षेत्रो में मनुष्य दो पक्षों में विभक्त हुए संगर्ष कर रहे है और मजेदार बात यह है कि इन कलहो,युद्धो में दोनों पक्ष वाले तुम्हारे नाम की दुहाई दे रहे है । प्रत्येक कहता है कि हमारा पक्ष सच्चा है, अत: परमेश्वर हमारे साथ है, विजय हमारी निशिचत है । परन्तु
हे मनुष्यों !
सत्य के साथ ऐसे खिलवाड़ मत करो ! जरा अपने अंदर घुस कर,अन्तर्मुख होकर, अपनी सच्ची अवस्था को देखो । “सत्य” ‘परमेश्वर’ आदि परम पवित्र शब्दों का यू ही हल्केपन से उचारण करना ठीक नही है । यह पाप है ! गहराई में घुस कर, गहरे पानी में बैठकर,सत्य वस्तु को तत्परता के साथ खोजो और देखो कि वह सत्यस्वरूप इन्द्र सदा सच्चे सत्य वस्तु का ही सहायक है । जिसको वास्तव में सत्य के लिए प्रेम है वह सत्य के लिए सर पर कफ़न बाँध लेता है तब तुम देखोगे परम सौभाग्य के साथ सर्वशक्तिमान इन्द्र की मित्रता में तुम हो उसके 'युज’ साथी बने हुए हो
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सत्य सनातन वैदिक धर्म की
………………जय

🐚🐚🐚 वैदिक विनय से 🐚🐚🐚


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