Tuesday, May 5, 2015

जो सदा धँम युक्त कँम करता हो तथा निन्दीत अधँम युक्त कँम कभी भी न करता हो,जो कभी भी वेद, ईश्वर, धर्म...

जो सदा धँम युक्त कँम करता हो तथा निन्दीत अधँम युक्त कँम कभी भी न करता हो,जो कभी भी वेद, ईश्वर, धर्म का विरोधी ना हो औऱ परमात्मा सत्यविधा तथा धर्म में दढ विश्वास रखता हो, वही मनुषय पंडित के लक्षण युक्त है।
-“व्यव्हार भानु”
स्वामी दयानंद सरस्वती जी।


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