Saturday, May 16, 2015

ओ३म् कुरान मे कई अल्लाह है , इबादत किसकी करे ??? समझने के लिए अक्ल का ताला खोलना पड़ेगा अपशब्द या...

ओ३म्
कुरान मे कई अल्लाह है , इबादत किसकी करे ???

समझने के लिए अक्ल का ताला खोलना पड़ेगा

अपशब्द या कुतर्क करने से पहले दिये गये प्रमाण झूठा साबित करे
प्रमाण :–
१. अल-फ़ातिहा (Al-Fatihah):1 - अल्लाह के नाम से जो बड़ा कृपालु और अत्यन्त दयावान हैं।
२. अल-बक़रा (Al-Baqarah):53 - और याद करो जब मूसा को हमने किताब और कसौटी प्रदान की, ताकि तुम मार्ग पा सको
३. अल-ए-इमरान (‘Ali `Imran):18 - अल्लाह ने गवाही दी कि उसके सिवा कोई पूज्य नहीं; और फ़रिश्तों ने और उन लोगों ने भी जो न्याय और संतुलन स्थापित करनेवाली एक सत्ता को जानते है। उस प्रभुत्वशाली, तत्वदर्शी के सिवा कोई पूज्य नहीं
४. अन-निसा (An-Nisa’):1 - ऐ लोगों! अपने रब का डर रखों, जिसने तुमको एक जीव से पैदा किया और उसी जाति का उसके लिए जोड़ा पैदा किया और उन दोनों से बहुत-से पुरुष और स्त्रियाँ फैला दी। अल्लाह का डर रखो, जिसका वास्ता देकर तुम एक-दूसरे के सामने माँगें रखते हो। और नाते-रिश्तों का भी तुम्हें ख़याल रखना हैं। निश्चय ही अल्लाह तुम्हारी निगरानी कर रहा हैं

विवेचना :–
समाज के ईमानदारो ( मुस्लिम समुदाय ) का मानना व कहना है की यह जो कुरान है वह अल्लाह ने कहा है यानी अल्लाह की वाणी है | ये ईमानदार ये भी कहते है अल्लाह ने ही इस पूरे कायनात को बनाया है और वह ऐसा नूर है जो इस जहान मे हर जगह मौजूद ( सर्वव्यापक ) है जिसकी वे इबादत करते है |
लेकिन सत्य क्या है वह सप्रमाण कुरान से ही देखते है तर्क की कसौटी पर
प्रमाण - १
यह कुरान का पहला सुरा का पहला ही आयात है | देखे यहाँ पर अल्लाह ने क्या कहाँ “अल्लाह के नाम से ” यानी पहला अल्लाह कह रहा है अपने से बड़े अल्लाह के नाम से | यानी कुरान के पहले ही अयात मे ही गड़बड़ी आ गयी | पहला ही आयात कह रहा है कुरान मे दो अल्लाह है , आज समाज मे जितने भी ईमानदार है ये किसकी इबादत कर रहे है कुरान लिखने वाले अल्लाह की या जिस अल्लाह के ऊपर लिखा गया है उसका ??? यानी एक अल्लाह दुसरे अल्लाह को उपदेश दे रहा है |
प्रमाण -२
“ हमने कसौटी और ज्ञान “ यहाँ हमने यानी बहुवचन का प्रयोग हुआ है जो यह प्रमाणित करता है कर्ता एक नही , दो नही बल्कि अनेक है | जिसका सीधा सा अभिप्राय है कुरान मे अनेक अल्लाह है | यह केवल एक छोटा सा उदाहरण है ऐसे ही न जाने कितनी जगहो पर अल्लाह ने हमने शब्द का प्रयोग किया है जिसका सीधा सा अर्थ है अल्लाह एक नही अनेक है |
प्रमाण ३. - “ अल्लाह ने गवाही दी ”
यानी कुरान बोलने वाला या लिखने वाला अल्लाह कह रहा है की अल्लाह ने गवाही दी यानी गवाही देने वाला अल्लाह कोई और है और कुरान लिखने वाला कोई और !!!!
क्या अल्लाह को अपने द्वारा ही बनाये गये ईमानदारो लोगो पर भरोसा नही था जो स्वंय अल्लाह को गवाही देनी पड़ी ???
प्रमाण ४. – “ अपने रब का डर रखो “ यहाँ अल्लाह कह रहा है अपने रब ( अल्लाह ) का डर रखो !!!
ये ईमानदार किस अल्लाह का डर रखते है जितने अल्लाह मिलकर कुरान बनाये उनकी या फिर जिस अल्लाह के ऊपर कुरान बना उनकी ?????????????
ये केवल कुछ उदाहरण दिया गया है अगर ध्यान से पढ़े तो कुरान मे कई आयात मिलेगे जिनसे यह प्रमाणीत होगा अल्लाह एक नही अनेक है |
मै भी ईमानदार बनना चाहता हूँ लेकिन कुरान पढ़ने के बाद समझ नही आ रहा किस अल्लाह कि इबादत करू | क्योकी ईमानदार ( मुस्लिम ) नही बना तो सभी अल्लाह मिलकर मुझे आग मे झोक देगे जहाँ पत्थरो को भी जलाया जाता है उसी आग मे मुझे भी जलना पड़ेगा | मुझे अल्लाह काफिर कहेगे और मेरे लिए बहुत ही कठोर यातनाएं होगी जहनन्नूम मे |


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