Monday, October 26, 2015

ओउम भूपेश आर्य~8954572491 प्रभु रचना तेरी अजब निराली है। तू अजर अमर,अज,निराकार,परमेश्वर देह कभी न...

ओउम
भूपेश आर्य~8954572491
प्रभु रचना तेरी अजब निराली है।
तू अजर अमर,अज,निराकार,परमेश्वर देह कभी न धरै,
बिन पैर चले,बिन कान सुनै,बिन हाथ करोडों काम करै,
हर जगह पे भगवन वास तेरा,महाप्रलय तू भी ना मरे,
तू पिता है सब है पुत्र तेरे,
भोजन दे सबका पेट भरै,
डर जिसे तेरा वो निडर हुआ,
दुनिया से बिल्कुल भी ना डरै,
जिनकी लौ तुझसे लगी रहै,सुख दे उनके सब दु:ख हरै,
हाकिम तू सारी दुनिया का,
हुक्म तेरा टाले ना टले,
जो दीन गरीब तेरी आस करै,पल भर तू भव सिन्धु तरै,
दु:ख निदान जग फूल बगिया का तू ही माली है।
रचना तेरी अजब निराली है।
प्रभु रचना तेरी अजब निराली है।।
किसी पेड पर फल लटकै,
किसी के ऊपर लगै फली,
कहीं ऊंचे टीले चमक रहे,
कही मरूभूमि कर तार करी,कही ताड खडे है बेशुमार,
कही घास खडी हरी हरी,
कही घना वन कही उजाड, ,कही पे खुष्की कही तरी,
हाय हाय कही वाह वाह,
खैर हुई कही पडी मरी,
कही जन्म हुआ और कही मरण,कही गीत गवै कही चिता जली,
द्वार पै नौबत बाज रही,
कहीं घर मैं अंखिया नीर भरी,
किस तौर करूं गुणगान प्रभु,
धन्य -धन्य तेरी कारिगरी,
कही अंधेरा किसी के घर में रोज दिवाली है।
रचना तेरी अजब निराली है।
प्रभु रचना तेरी अजब निराली है।।
कोई शहंशाह बना दिया,कोई टुकडे मांगे दर दर पे,कोई साहूकार बडा
भारी,
कोई तकै आसरे घर घर के,
कोई बना दिया बेखौफ खतर,कोई वक्त गुजारे डर डर के,
कोई गुजर करे है छप्पर में,
कही महल खडे संगमरमर के,
कोई हंसे कहकहा मार मार,कोई रोवै आंसू भरभर के,
कोई हुक्म चलावै लाखों पर,
कोई जीवै सेवा कर कर के,
कोई मोज करै कोई पेट भरै,अपने सिर बोझा धर धर के,
कोई देख किसी को खुशी रहै,
कोई मिला खाक में जर जर के,
कोई है गौरा किसी की बिल्कुल कायाकाली है।
प्रभु रचना तेरी अजब निराली है।
प्रभु रचना तेरी अजब निराली है।।
कही थार पडे हैं धरती में,कहीं ऊंची शिखर पहाडों की,
कही गर्मी है तन गर्म किया,
कही शान दिखा दी जाडों की,
कहीं झील बना दी बडी बडी,
कही शोभा छोटे तालों की,
बडें समुन्दर नीर भरे,कहीं
छवि है नदी नालों की,
रेगिस्तान बडे भारी,
कहीं शोभा प्यारे बागों की,
कोयल कू कू शब्द करै,
कहीं कांव कांव है कागों की,
दिन है सूरज निकल रहा,
कहीं रात है रंगीन सितारों की,
कोई शहर विरान हुआ,
कहीं शान बुलंद बाजारों की,
कोई है गौरा किसी की बिल्कुल काया काली है।
रचना तेरी अजब निराली है।
प्रभु रचना तेरी अजब निराली है।।
कोई चलै नहीं बिन मोटर के,
कोई नंगें पैरों भाग रहा,
कहीं ढेर पडे जर जेवर के,
कोई कर्ज किसी से मांग रहा,
किसी का दुश्मन बन बैठा,
कोई प्रेम किसी से पाल रहा,
कोई छिडक कही पर नीर रहा,
कोई जला कही पर आग रहा,
धर्म से मुंह को मोड रहा,
कोई प्रभु से लगन जोड रहा,
कोई सुख निंदिया में सोय रहा,
कोई पडा फिक्र में जाग रहा,
कोई दुर्जन जन्म बिगाड रहा,
कोई सज्जन जन्म सुधार रहा,
कोई महलों की अभिलाष करै,
कोई बनी हवेली त्याग रहा,
तेरी नजर में सब दुनिया की देखाभाली है।
रचना तेरी अजब निराली है।
प्रभु रचना तेरी अजब निराली है।।
कुल जहां में तेरा जलवा है,
तुझसा जलवेगर कोई नही,
हर अफसर का तू अफसर है,
पर तेरा अफसर कोई नहीं,
सबके भीतर बहार है,
तुझसे बहार कोई नहीं,
ईश्वर तेरीे शान का दुनिया में दिलावर कोई नहीं,
करुणानिधान तुझसे महान,
धरती के ऊपर कोई नहीं,
तू ही मात पिता तू ही स्वामी सखा,
बस तेरी बराबर कोई नहीं,
रुपराम के कष्ट हरो क्यो देर लगादी है।
रचना तेरी अजब निराली है।
प्रभु रचना तेरी अजब निराली है।।
नरदेव जी का गाया हुआ ये भजन मुझे बहुत ही बढिया लगता है।
~~~~~~इति ओउम्~~~~~


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