Sunday, October 18, 2015

★मांडलीक★ कुमति कुदृष्टि तणा , बंध कर हवे दाव,,, पछी रेशे नय करनार राव ,कोय मोले तारे...

★मांडलीक★
कुमति कुदृष्टि तणा , बंध कर हवे दाव,,,

पछी रेशे नय करनार राव ,कोय मोले तारे मांडलीक,,,

चारण थी चडीये नय , कदी वेणे न करीये वाद,,,

तारु सुरत आखु शहेर , तेदी मे धुणाव्युतु मांडलीक,,,

वखत छे वहेवार तणो , मोज आ ले माणी,,,

पछी पीवा पाणी , वेळा नय रिये मांडलीक,,,

डर नथी नागल ने , जाण जुना ना धणी,,,

आ शरम मोसाळ तणी , बाकी मुख न खुले मांडलीक,,,

रदय खोल राजन , पछी जीववु थाशे झेर,,,

आ चारण साथे वेर , मोंघा पडशे मांडलीक,,,

मान आ वेण बीजे , तु चारण थी छो अजाण,,,

पछी मोले तारे महेमान , रेशे नय कोय मांडलिक,,

वेण चारण ना एक , भव बधो तरीश,,,

नहीतर द्वारे द्वारे फरीश , भुंडा मोये मांडलिक,,,

मेली दे मोणीया तणु , न लइश जीभे थी नाम,,,

पछी गढपत गामो गाम , माखण उघरावीश मांडलीक,,,

जूनाणे पाछो जा , छानो मानो चूप,,,

हजु भळ्या नथी भूप , मग ने चोखा मांडलीक,,,
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डेलीये नहि दरवान , रा ना कोय रेशे नय,,,

पहेरेगीर पठाण , मामद शा ना मांडलीक,,,

गंगाजळीया गरवा पति , वातु धटे नही विर,,,

आ नेवा हुंदा नीर , मोभे नो चडे मांडलीक,,,

गंगाजळीया गरवा पती वातु घटे ना विर,,,

आवि हिणी नजरु हमीर कोय दि मावतर माथे ना होय मांडलीक,,,

पोथी ने पुराण भागवत क्याय भाळीस नहि,,,

मुल्ला पुकार से बांग तारी मेळी माथे मांडलीक,,,

रेसे नहि नहि रा नी रीत तारु रा पणु क्याय रेसे,,,

भटकतो मांगीस भीख ते दि तु संमभारजे मांडलीक,,,

अमे छोरु तमे मावतर, तने वंदिये विर,,,

आवि हिणी नजरु हमिर, मावतर माथे ना होय मांडलीक,,,

नागबाइ ने नम्यो नहि ने भुल्यो राजा नि रीत,,,

तारी मेळी ठेकाणे मस्जीद,ज्या मुल्ला पुकारे रा'मांडलीक,,,

कंइक फकीर,कंइक फकरा मण मांगी खाय,,,

लोट जाय ज्यां जुनाणा नो कोढ,पण मोळु ना पडे मांडलीक,,,

मारा जेवि नहि मळे, तने समजावतल हठा,,,

मानि जा अक्कल मठा,मारा वचन ने तुं मांडलीक,,,
★परबत गोरीया★


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