Wednesday, October 21, 2015

Arya Bhupesh Pundir ओउम् भूपेश आर्य~8954572491 गायत्री मन्त्र का प्रभाव:- गायत्री के प्रभाव से ही...

Arya Bhupesh Pundir
ओउम्
भूपेश आर्य~8954572491
गायत्री मन्त्र का प्रभाव:-
गायत्री के प्रभाव से ही वशिष्ठ जी ने विश्वामित्र के सभी शस्त्रास्त्रों को निष्फल कर दिया था।इसी के प्रभाव से विश्वामित्र महर्षि बन गये थे।
इसी के प्रभाव से राम महापुरुष तथा क्रष्ण योगिराज तथा दयानन्द महर्षि कहलाये।
गायत्री के प्रभाव से ही ऋषि शाप तथा वरदान दिया करते थे।इसके उपासक पर दुष्टों का प्रभाव नहीं होता,उसकी अकाल म्रत्यु नहीं होती,दिल की धडकन नहीं रुकती,और न कभी भयंकर रोग से ग्रसित ही होता है।
गायत्री जापक के पापों(कलुषित भावनाओं) को नष्ट कर देती है।कूर्म पुराण।।
एक बार ब्रह्माजी ने वेदों के (अध्ययन के प्रभाव को) तथा गायत्री(जप के प्रभाव) को तोला (शक्ति का परिक्षण किया) तो ब्रह्मा जी ने वेदों के सहस्रों बार के अध्ययन से गायत्री के एक बार के जाप को अधिक प्रभावशाली पाया।।पाराशर स्म्रति।।
गायत्री का जापक जितने पाप करता है अर्थात जितनी पाप वासनाऐं हैं वे सब नष्ट हो जाती है तथा वह जापक शुद्ध,पवित्र,अजर,अमर हो जाता है अर्थात वह जन्म मरण के बंधन से मुक्त हो जाता है।।व्रहदारण्यकोपनिषद।।
तभी तो कहा गया है-गायत्री से बढकर कोई जप नहीं,गायत्री से बढकर कोई तप नहीं,गायत्री से बढकर कोई ध्यान नहीं और ना इससे बढकर कोई ज्ञान-तप ही है।
गायत्रयास्तु नास्ति अपरो मन्त्र ।।
नित्यपूर्वक गायत्री का जप करने,पवित्रता से रहने,तपस्या करने तथा प्राणियों से द्रोह(हिंसा) न करने से पूर्वजन्म की बातें याद आ जाती हैं।मनु ४।१४८ ।।
इसलिए इस मन्त्र के सम्बन्ध में कहा जाता है-
किं किं न दद्दात् गायत्री सम्यक् एवं उपासिता ।। शान्ति. ।।
~~~~~इति ओउम्~~~~~


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