Saturday, October 24, 2015

। ठ्ग्(ज्योतिषी) :- त्राहि माम्… त्राहि माम्… भगवन त्राहि माम्..! भगवान :- क्या है!...

। ठ्ग्(ज्योतिषी) :- त्राहि माम्… त्राहि माम्… भगवन त्राहि माम्..!
भगवान :- क्या है! क्योँ शोर मचा रहे हो ?
ठग्:- भगवन ! पृथ्वी पर कुछ मनुष्य आपकी बनाई ज्योतिष विद्या को गलत कह रहे है, इसे ठ्ग विद्या कह रहेँ है. और हमेँ ठग !
भगवान :- अरे मूर्खो ! मैनेँ कब यह ज्योतिष बनाई ? मुझे क्योँ नाहक ही इस से जोङ रहे हो !
ठग्:- भगवन अब तो आपका ही सहारा है ! सारे प्रयत्न कर के देख लिए, ज्योतिष को सही साबित करने मेँ पर कोई भी तर्क उपाय काम नहीँ कर रहा. आप ही कुछ कीजिए भगवन्, नहीँ तो एक दिन हम सबकी ठगी की दुकाने बन्द हो जाएगी !
भगवान्:- हैलो..हैलो..हैलो.. तुम लोगो की आवाज नहीँ आ रही हैलो…हैलो…हैलो…!!!

ठग - हेलो भगवान जी हेलो भगवान जी - लाइन कट गई थी - इसलिए जल्दी से सुन लो प्रभु दिवाली आने वाली है तो कुछ मूर्खो को भेज दो तो में कम से कम कुंडली मिलान में व्यवधान बता कर ही कुछ धंधा कर ले
भगवान - पहले ही मेने इतने मूर्ख भेज रखे है फिर भी अभी तक पेट नहीं भरा - चलो देखता हूँ - स्टॉक में अब कितने बचे है - कल फ़ोन करना

भगवान - हैलो चित्रगुप्त जी
चित्रगुप्त - आज्ञा प्रभु !
भगवान - अरे जरा अपना स्टाक रजिस्टर तो देखना कितने मूर्ख बचे है कुछ ज्योतिषीयो ने आर्डर दिया है।
चित्रगुप्त हंसते हुए - प्रभु आप भी कमाल करते है मूर्खो के स्टाक के लिए मुझे रजिस्टर देखने की आवश्यकता ही नहीं होती आप तो बस आज्ञा दीजीए कि कितने पार्सल करने है।
भगवान - अच्छा ठीक है ! साथ मे कुछ बुद्धिमान भी भेज देना ताकि सन्तुलन बना रहे।
चित्रगुप्त थोङी देर सोचते हुए - यह तो मुश्किल है प्रभु !
भगवान - क्यों ?
चित्रगुप्त - प्रभु बुद्धिमानो की लिस्ट मूर्खो के रजिस्टरो के बीच कहीं गलती से रख दी है अब मिल नहीं रही।

नारायण नारायण
नारद जी ने प्रवेश करते हुए कहा और बोले की प्रभु आप मूर्खो को भेजने के किस चक्कर में उलझ गए है - नारायण नारायण - आपको पता नहीं की मृत्युलोक में ज्योतिषियों ने आपके नाम पर बुद्धिमान लोगो को भी मूर्ख बना रखा है और आप अगर पहले से ही तैयार मूर्ख भेजने लगे तो मृत्युलोक ही समाप्त हो जायेगा - नारायण नारायण
(भगवान और चित्रगुप्त सोच में पड़ गए)


भगवान जी ने मौन तोड़ते हुए चित्रगुप्त से कहा - मेने कभी आपको मृत्युलोक में मूर्ख भेजने के लिया कहा था -
चित्रगुप्त - प्रोडक्शन ब्रांच में कुछ गड़बड़ हो जाने पर कभी कभी मूर्ख चले जाते है - पर उन्हें तो वहां पर पागल कहते है - मूर्ख तो नहीं कहते -
भगवान - तो फिर ज्योतिषी मूर्खो को भेजने की मांग कर के मुझे क्यों परेशान कर रहा था -
नारायण नारायण
नारद जी बोले - प्रभु मेने तो पृथ्वी पर पैदा होने वाले बच्चो को अज्ञानी तो पाया है पर मूर्ख नहीं - और बच्चे अज्ञानी होते है तो आप उनमे जिज्ञासा भर देते है तो वह रोज की हजारों बाते सीखता है - और उसे दुनिया के बारे में कुछ भी पता नहीं होने पर भी उसे मूर्ख तो नहीं कहते - नारायण नारायण
भगवान - तो फिर मृत्युलोक में मूर्ख कहाँ से आ रहे है
नारद जी - नारायण नारायण - प्रभु - बहुत से बच्चे १५-२० वर्ष की आयु में जिज्ञासा करना बंद कर देते है और फिर भीड़ के साथ चलने लगते है - नारायण नारायण - और भीड़ में तो ठग भी होते है वह उनको गलत बाते बता कर डरा डरा कर मूर्ख बना देते है - नारायण नारायण
भगवान जी - तो क्या ऐसे मूर्ख कोई काम ठीक से नहीं कर पाते
नारद जी - नारायण नारायण - नहीं प्रभु - वह सब काम सही कर लेते है पर डर और आत्मविश्वास खोने के कारण अपने दिमाग में जिज्ञासा नहीं होने देते और फिर ज्योतिषी उन्हें मूर्ख बना देते है - नारायण नारायण
भगवान जी - यह ज्योतिषी क्या है क्या वह सतयुग के ज्योतिषी है जो हवन करते समय मुझे बुलाते थे - या कोई और है
नारद जी - नारायण नारायण - भगवन वह ज्योतिषी तो खत्म हो गए अब तो नए ज्योतिषी आ गए है जो चित्रगुप्त के पोथे की बाते पहले ही बताने की बाते करते है नारायण नारायण
चित्रगुप्त - प्रभो मेरे पोथे तो सुरक्षित है उसे तो कोई नहीं देख सकता - और प्रभो ऐसे ज्योतिषियों को तो अपने व्यास जी ने चांडाल कहा था और मनु ने तो घर के बाहर तक कर दिया था - और ऐसे ज्योतिषियों को तो अब सीधे नरक में भेजा जा रहा है जैसे पहले भी आदेश दिए थे
भगवान - अगर ऐसा ही चलता रहा तो यह ज्योतिषी तो मेरे सभी जिज्ञासु बच्चो को मूर्ख बना देंगे तो मेरी श्रष्टी ही ख़त्म हो जाएगी - कुछ करो
चित्रगुप्त - अभी कुछ वर्षो पूर्व शांडिल कुल में एक बालक को भेजा था ताकि वह ऐसे कुकर्मो पर रोक लगाए -
भगवान जी - देखो उसका काम सही चल रहा है या नहीं - और ज्योतिषी अब भी मूर्ख बना रहे है या नहीं
नारद जी - नारायण नारायण - प्रभु में मृत्युलोक ही जा रहा हूँ - पता करके आप को सही सही बात बताऊंगा -
भगवान - चार माह के लिए सोने चले गए - चित्रगुप्त जी - पोथे पलटने लगे और नारद जी - खबर इकट्ठी कर रहे है -


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